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दरअसल, करवे को बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी के साथ पानी मिलाया जाता है, जो जल और भूमि तत्व के प्रतीक हैं. करवे को बनाने के बाद इसे धूप और हवा में रखकर सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु तत्व के प्रतीक हैं. इसके बाद करवे को आग में तपाया जाता है, इस तरह करवा पांच तत्वों से मिलकर बनता है. इसलिए करवे को पांच तत्व का प्रतीक माना जाता है. इन पांच तत्वों की मदद से बने होने के कारण मिट्टी के करवे का महत्व स्टेनलेस स्टील से बने करवे के मुकाबले अधिक होता है.
यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत का समापन पति अपनी पत्नी को मिट्टी के करवे से पानी पीलाकर करते हैं, ताकि अपने वैवाहिक जीवन में पांच तत्वों को साक्षी बनाकर खुशहाल जीवन की कामना कर सकें.